|| पुज्य श्री ऋषि बसन्ता आरती || बाबा संगाडा स्तुति ||
|| पुज्य श्री ऋषि बसन्ता आरती || जय जय आरती ऋषि बसन्ता कथन ने आये, गुण बेअंता - जय वर्धमान पट-दीप दिनंदा बसन्त ऋषि मुख पूनम चन्दा - जय ——(२) श्वेताम्बर गुरु लोच करन्दा बगल राजोहणा, खूब सुहान्दा - जय पट्टी नगरे, समाध सुहावे कर दर्शन, भविजन सुख पावे - जय निश्चय कर, जो कोई ध्यावे मन वांछित फल, सो नर पावे - जय कर जोड़ी साबर गुण गावे सकल श्री संघ, शीश झुकावे - जय श्री पुज्य बसन्त ऋषि जी महाराज............. || बाबा संगाडा स्तुति || बाबा संगाडा देविया, सुद्रमाल ते श्रीपाल, चौवा परावाँ मेल हैं, गढ़माल दा परिवार, भाई भतिजयों पोत्रयों, तुसी करो बाबे दी सेवा, बाबा गरीब नवाज है, जुग-जुग बाबे दा राज, बाबा तां ठूठा मेल करे, दूध पुत ते लक्ष्मी दे, बाबा नवावे आंकिया, तोड़ेसुमां दियां तकियां, सूम करदे सूमकि, चौथाएं नहीं ऐ थां, बाबा गरीब नवाज है, जुग-जुग बाबे दा राज, बाबा संगाडा देविया, सुद्रमाल ते श्रीपाल, चौवा परावाँ मेल हैं, गढ़माल दा परिवार